दोस्ती के लिए जीवन समर्पित किया जा सकता है, जीवन के लिए दोस्ती को नहीं (Soldier Friendship story)

दो सैनिक, बहुत गहरे दोस्त और एक ही जगह तैनात। एक शाम मोर्चे से वापस लौटने के बाद एक दोस्त ने देखा कि दूसरा वापस नहीं लौटा है। कई सैनिक मारे गए थे वहां। दोस्त परेशान हो उठा-क्या मेरा दोस्त भी वहीं…

उसने काफी पूछताछ की और फिर किसी ने जानकारी दी कि वे उसकी मृत्यु के बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते, पर इतनी सूचना है कि वह बुरी तरह घायल हो गया था। उस हालत में उसके लिए वापस कैंप लौटना नामुमकिन था। शाम रात में तब्दील हो रही थी। दुश्मनों की ओर से अंधाधुंध गोलीबारी जारी थी। सैनिक दोस्त वापस जाकर अपने दोस्त को खोजना चाहता था। बड़े अधिकारी ने उसे ऐसा करने से मना किया। “इस समय वहां जाना मूर्खता होगी” पर उसने नहीं सुनी और वह दोस्त की खोज में चला गया।

अंधेरे में कुछ भी ढूंढ पाना मुश्किल हो रहा था। हर जगह मृत सैनिक दिखाई दे रहे थे। आधी रात के बाद वह अपने दोस्त का मृत शरीर लेकर कैंप लौटा। अब तक वह खुद भी बुरी तरह घायल हो चुका था। उसका बचना भी मुश्किल लग रहा था। कैंप पहुंचते ही वह अपने दोस्त के शरीर के साथ जमीन पर गिर गया। बड़े अधिकारी ने देखते ही कहा, ‘मैंने तुम्हें कहा था कि यह मूर्खता मत करना। इसका कोई फायदा नहीं होगा और अब देखो, नतीजा क्या हुआ है। तुम्हारे दोस्त की मृत्यु हो चुकी है और तुम भी मरने की कगार पर पहुंच चुके हो।’ दोस्त ने आंखें खोली और कहा, मेरा जाना बेकार नहीं हुआ, ‘क्योंकि जब मैं वहां गया तो वह जिंदा था। उसने मुझे देखकर कहा, ‘यार मुझे पता था कि तुम जरूर ‘आओगे।’

यह भी पढ़े : दुनिया दोस्तों से – सच्ची दोस्ती शायरी

प्यार के लिए जीवन समर्पित किया जा सकता है, पर जीवन के लिए प्यार नहीं। पर अक्सर हमें केवल जीने के लिए ही सबकुछ छोड़ देने की सलाह दी जाती है।

Leave a Comment