इस Moral Stories के माध्यम से हमे यह मालूम होगा की संख्या नहीं, काम की गुणवत्ता ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं। Quality greater than Quantity मतलब Quality > Quantity.
एक आदमी काम की तलाश में छोटे कस्बे से बड़े शहर में पहुंचा था। वह अपने कस्बे में भी अच्छा काम कर रहा था, लेकिन वहां तरक़्क़ी की गुंजाइश कम थी, इसलिए वह शहर आ गया था। शहर में उसने एक बड़ी दुकान के मैनेजर से संपर्क किया। दुकान क्या थी, पूरा का पूरा बाज़ार था, जहां कील से लेकर वाहन तक, हर चीज़ मिलती थी। कस्बे के उस आदमी ने मैनेजर से बात की।
मैनेजर ने कहा कि सेल्समैन की जगह तो ख़ाली है, पर तुम्हें इस काम का कितना अनुभव है। उसने जवाब दिया, ‘अपने कस्बे में मैं बड़ा अच्छा सेल्समैन समझा जाता था।’ मैनेजर ने कहा, ‘वह तो एक दिन में ही पता चल जाएगा। तुम्हें आज दुकान में काम करना है। दिनभर के तुम्हारे प्रदर्शन के आधार पर तय होगा कि तुम यहां काम करने के काबिल हो या नहीं।’ इस तरह उस आदमी को मौक़ा मिल गया।
रात को दुकान का शटर गिरने के बाद मैनेजर ने उसे बुलाकर पूछा कि उसने दिनभर में कितने ग्राहकों को कुछ ख़रीदने के लिए राजी किया। उस आदमी ने जवाब दिया, ‘एक’ मैनेजर ने कहा, ‘बस एक! हमारा एक औसत सेल्समैन दिनभर में 20-30 ग्राहकों को कुछ न कुछ बेच देता है और तुम बस एक ग्राहक को कुछ ख़रीदने के लिए राजी कर पाए! ऐसे में भला क्या नौकरी मिलेगी तुम्हें। ख़ैर, तुमने कितने पैसों का सामान बेचा उसे?’ जवाब मिला, ‘12,26,632 रुपयों का।’ इनती बड़ी रक़म सुनकर मैनेजर को बड़ा आश्चर्य हुआ।
‘ऐसा क्या बेच दिया तुमने उसे ?’ उसे बेहद उत्सुकता हो रही थी। कस्बे के आदमी ने जवाब दिया, ‘पहले मैंने उसे मछली पकड़ने का छोटा कांटा बेचा, फिर मीडियम कांटा, फिर बड़ा कांटा। उसके बाद मैंने उसे मछली मारने की पूरी किट बेची। फिर मैंने उस ग्राहक से पूछा कि वह मछलियां पकड़ने कहां जाएगा।जब उसने बड़ी नदी का नाम लिया, तो मैंने उसे सुझाव दिया कि क्यों न वह एक मोटरबोट भी ख़रीद ले। मोटरबोट लेने के बाद उसे ख़्याल आया कि उसकी पुरानी जीप बोट को ढोकर नदी तक नहीं ले जा पाएगी, तो उसने नई जीप के बारे में पूछताछ की। तब मैं उसे आटोमोटिव डिपार्टमेंट में ले गया और उसने लगे हाथ जीप और ट्रॉली भी ख़रीद ली।’
मैनेजर ने अविश्वास से लगभग चीख़ते हुए कहा, ‘वह मछली पकड़ने का कांटा लेने आया था और तुमने उसे इतना कुछ बेच डाला ! ‘ उस आदमी ने जवाब दिया, ‘नहीं, दरअसल वह तो घर पर डिनर के लिए कैंडल लेने आया था। मैंने उससे कहा कि आप वीकएंड पर कैंडल लाइट डिनर का प्लान बना रहे हैं, बात है। क्यों न उससे पहले आप मछली ने यह अच्छी जाएं! इससे आपका पूरा दिन मौज-मस्ती में गुज़रेगा। और वह मान गया।’
* सबक़ ज़िंदगी का – संख्या नहीं, गुणवत्ता महत्वपूर्ण होती है।