एक सोच – EK SOCH – Yusuf Bashir Qurebi Poetry

Yusuf Bashir Qurebi

एक सोच… एक सोच अकल से फिसल गई, मुझे याद थी कि बदल गई, मेरी सोच थी कि वो ख्वाब था, मेरी जिंदगी का हिसाब था। मेरी जुस्तजू से बरअक्स थी,मेरी मुश्किलों …

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‘नकलची’ बंदर होता है हमारा दिमाग

'नकलची' बंदर होता है हमारा दिमाग

कभी न कभी यह बात तो आपने भी अनुभव की ही होगी कि किसी व्यक्ति से मिलकर, बात करके या उसका रंग-ढंग देखकर आप भी उससे प्रभावित होकर जाने-अनजाने में उसी की …

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