छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की – Anjum Rahbar 

जीवन एक सफर है जो हर कदम पर नयी कहानियों को साथ लेकर आता है। हम सभी की जिंदगी एक जैसी रेलगाड़ी की तरह होती है, जो छुक छुक आगे बढ़ती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम जीवन के इस सफर को रेलगाड़ी के मुकाबले कैसे देख सकते हैं, और कैसे हमें हर स्टेशन पर नई चुनौतियों और सीखों से गुजरना पड़ता है। आओ, इस सफर में साथ चलें और जीवन की यह रेलगाड़ी के कुछ खास मोमेंट्स को साझा करें।

छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की
हँसना-रोना, जागना-सोना, खोना-पाना, सुख-दुःख, दुःख-सुख
छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की

छोटी-छोटी सी बातों से, मोटी-मोटी खबरों तक
ये गाड़ी ले जाएगी हमको, माँ के गोद से कब्रों तक
सब चिल्लाते रह जाएंगे, रुक-रुक-रुक-रुक
छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की

सामान बांध के रखो लेकिन, चोरो से होशियार रहो
जाने कब चलना पड़ जाए, चलने को तैयार रहो
जाने कब सिटी बज जाए, सिग्नल जय झुक
छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की

पाप और पुण्य की गठरी बांधे, सत्यनगर को जाना है
जीवन नगरी छोड़ के हमको, दूर सफर को जाना है
य भी सोच ले हमने क्या-क्या मॉल, किया है बुक
छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की

रात और दिन इस रेल के डिब्बे और सांसो का इंजन है
उम्र है इस गाड़ी के पहिए और चिता स्टेशन है
जैसे दो पटरी हो वैसे, साथ चले सुख-दुःख
छुक-छुक-छुक-छुक रेल चली है जीवन की

यह भी पढ़े : जीवन है अनमोल

Leave a Comment