मुसीबत आने पर हम कैसे हों जाते हैं…

मुसीबतें हमारे जीवन का नियमित हिस्सा हैं। कभी न कभी हम सभी ने इन मुसीबतों का सामना किया है। जीवन के इन कठिनाइयों ने हमें बहुत कुछ सिखाया है, यह लेख हमें बताएगा कि मुसीबत आने पर हम कैसे हों जाते हैं। यह लेख हमें यह भी बताएगा कि कैसे मुसीबतें हमारी जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और हमें नई दिशा और प्रगति की ओर ले जाती हैं।

एक लड़की की कुछ समय पहले ही शादी हुई थी. एक दिन वह मां के पास आयी और बताने लगी कि उसकी जिंदगी कितनी मुश्किलों से भरी है. दुख ही दुख भरे पड़े हैं. वह नहीं समझ पा रही थी कि अपने जीवन को किस तरह सही पटरी पर लाए. हर रोज चुनौतियों से लड़ते-झगड़ते परेशान हो चुकी थी. एक समस्या खत्म नहीं होती, दूसरी खड़ी हो जाती.

मां उसे अपने साथ रसोईघर में लेकर गई. उसने तीन कटोरे पानी से भरे और उन्हें आंच पर रख दिया. जैसे ही पानी उबलने लगा, उसने एक में गाजर, दूसरे में अंडे और तीसरी में कॉफी के बीज डाल दिए. करीब 20 मिनट बाद उन्होंने गैस बंद कर दी. गाजर, अंडे और कॉफी के बीजों को बाहर निकाल दिया. अब बेटी की ओर देखते हुए मां ने कहा, ‘बताओ, तुमने क्या देखा ? लड़की ने कहा, ‘गाजर, अंडे और कॉफी के बीज.’ मां ने अब बेटी को तीनों चीजों के छिलके उतारने को कहा. लड़की ने पहले गाजर का छिलका उतारा. उसने ध्यान दिया कि वह अब मुलायम हो गई है. अंडे का छिलका उतारा तो देखा कि वह पहले से सख्त हो गया. अंत में जब कॉफी के बीजों की बारी आई तो बेटी मुस्कुरा उठी. पूरी रसोई में उनकी खुशबू फैली हुई थी.

बेटी ने मां से कहा, ‘पर इसका मतलब क्या है मां? मां ने कहा, ‘तीनों चीजों पर समान मुसीबत थी. पर असर एक तरह का नहीं हुआ. मजबूत गाजर, चुनौती आते ही मुलायम पड़ गई. अंडा नाजुक था, पर चुनौतियां आने पर सख्त हो गया. पर कॉफी के बीज अद्भुत हैं. उन्होंने पानी को न सिर्फ बदला, अपने आसपास को भी सुंगधित कर दिया. यह हमें भी सोचना है कि मुसीबत आने पर हम कैसे हो जाते हैं? अगर हम कॉफी के बीजों की तरह हैं तो हर चुनौती हमें बेहतर ही बनाएगी.’

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