कुछ अनमोल वक्त माँ के साथ भी बिताएं

माँ की ममता और प्यार को कोई शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं होता। उनका स्नेह हमेशा हमारे जीवन में एक अनमोल रत्न की तरह होता है, जिसे हम संगीत, कविता और कहानियों के माध्यम से बयां करने की कोशिश करते हैं। इस पोस्ट में, हम माँ के साथ बिताए गए कुछ अनमोल वक्त साझा करने जा रहे हैं। ये पल हमारे जीवन को आनंदित और अर्थपूर्ण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उम्र – दो साल : मम्मा कहां है? मम्मा को दिखा दो, मम्मा को देख लूं, मम्मा कहां गईं ?

उम्र – चार साल : मम्मी कहां हो? मैं स्कूल जाऊं ? अच्छा मम्मी मुझे आपकी याद आती है स्कूल में…

उम्र – आठ साल : मम्मा, लव यू, आज टिफिन में क्या भेजोगी ? मम्मा स्कूल में बहुत होम वर्क मिला है…

उम्र – बारह साल : पापा, मम्मा कहां हैं? स्कूल से आते ही मम्मी नहीं दिखती, तो अच्छा नहीं लगता…

उम्र – चौदह साल : मम्मी आप पास बैठो ना, खूब सारी बातें करनी हैं आपसे…

उम्र – अठारह साल : ओफ्फो मम्मी समझो ना, आप पापा से कह दो ना, आज पार्टी में जाने दें…

उम्र – बाइस साल : क्या मां? जमाना बदल रहा है, आपको कुछ नहीं पता, समझते ही नहीं हो…

उम्र – पच्चीस साल : मां, मां जब देखो नसीहतें देती रहती हो, मैं दूध पीता बच्चा नहीं…

उम्र- अट्ठाईस साल : मां वो मेरी पत्नी है, आप समझा करो ना, आप अपनी मानसिकता बदलो…

उम्र – तीस साल : मां, वो भी मां है, उसे आता है बच्चों को संभालना, हर बात में दखलअंदाजी नहीं किया करो…

और उसके बाद, मां को कभी पूछा ही नहीं। मां कब बूढ़ी जो गई, पता ही नहीं उसे,
मां तो आज भी वो ही है, बसं उम्र के साथ बच्चों के अंदाज बदल जाते हैं..

उम्र – पचास साल : फिर एक दिन मां, मां चुप क्यों हो? बोलो ना, पर मां नहीं बोलती, खामोश हो गई…

मां, दो साल से पचास साल के इस परिवर्तन को समझ ही नहीं पाई, क्योंकि मां के लिए तो पचास साल का प्रौढ़ भी बच्चा ही है, वो बेचारी तो अंत तक, बेटे की छोटी सी बीमारी पर, वैसे ही तड़प जाती, जैसे उसके बचपन में तड़पती थी। और बेटा, मां के जाने पर ही जान पाता है कि उसने क्या अनमोल खजाना खो दिया…?

जिन्दगी बीत जाती है, कुछ अनकही और अनसुनी बातें बताने- कहने के लिए, मां का सदा आदर-सत्कार करें, उन्हें भी समझें और कुछ अनमोल वक्त उनके साथ भी बिताएं, क्योंकि वक्त गुजर जाता है, लेकिन मां कभी वापस नहीं मिलती।

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