कंप्यूटर युवाओं के लिए एक खेल का रूप लेता जा रहा है और वे रोजाना खतरनाक स्तर पर कंप्यूटर को समय दे रहे हैं. इसकी कीमत वे चुका रहे हैं और उनमें अंगुलियों में दर्द, ऐंठन जैसी बीमारियों के लक्षण पनप रहे हैं. इस तरह के मामलों के जानकार डॉक्टर का कहना है कि ऐसे बच्चे जो बचपन में कंप्यूटर का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, उनमें ऐसी बीमारियों के लक्षण दिख रहे हैं तो युवावस्था में उन्हें अपंग बना सकती हैं. सर्वे से जुड़ी डॉक्टर रॉबिन मैरी बताती हैं कि 12 से 18 साल की उम्र के 500 बच्चों पर सर्वे में पता चला है कि इनमें कंधे और गर्दन में दर्द की शिकायतें समान रूप से पाई गई.
इस तरह के दर्द से बचने के लिए माउस को आप अपने शरीर के जितना हो सके, नजदीक रखें. बच्चों के लिए मॉनिटर काफी ऊंचाई पर होता है, ऐसे में ऊपर दखने से गर्दन में दर्द होता है. जो लोग लैपटॉप इस्तेमाल करते हैं, उनको उसके साथ अलग से की-बोर्ड और माउस का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि स्क्रीन और की-बोर्ड के बीच की दूरी पर्याप्त रखी जा सके.
ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि हाथों को ज्यादा मोड़कर टाइपिंग की जाती है, इससे कलाइयों में खिंचाव संबंधी बीमारियों की शिकायत ज्यादा देखी जा सकती है. कोशिश करें जितना ज्यादा हो सके हाथों को समतल रखकर टाइप करें. हर 20 मिनट में ब्रेक लें.
कौन-सी बीमारी सबसे ज्यादा
ज्यादा कंप्यूटर के इस्तेमाल से होने वाली स्ट्रेन इंजुरी में कारपल ट्यूनल सिंड्रोम सबसे आम है. यह हाथ और कलाई को प्रभावित करती है. हाथ और अंगुलियों में खिंचाव की शिकायत इसका प्रमुख लक्षण है. इसमें हाथों की ताकत कम होने लगती है. इसके साथ ही पीठ संबंधी बीमारियां भी इससे होती हैं.
12 से 18 साल के बच्चों पर किए गए एक सर्वे में खिंचाव जैसी बीमारियों के ऐसे लक्षण पाए गए तो आमतौर पर वयस्कों में होती हैं. डॉक्टरों का कहना है कि कंप्यूटर पर बैठने के तरीके, की-बोर्ड, माउस और स्क्रीन सही स्थिति नहीं होने से गर्दन और पीठ में दर्द की शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं
सावधानी में ही बचाव है
✦बच्चे या युवा भी जो कुप्यूटर का इस्तेमाल काफी ज्यादा करते हैं वे कुछ टिप्स अपनाकर इन बीमारियों से काफी हद तक बच सकते हैं.
✦ज्यादा ऊंची या नीची कुर्सी पर बैठकर टाइपिंग करने से बचें. इससे आपकी कलाई का एंगल सही नहीं बनता है. बच्चों के लिए अच्छा रहेगा कि उनके हिसाब से कंप्यूटर टेबल हो और कुर्सी भी.
✦अपने की-बोर्ड को डेस्क की सामान्य ऊंचाई से थोड़ा नीची जगह पर रखें.
✦पैरों में शिकायत से बचने के लिए फुटरेस्ट का इस्तेमाल जरूर करें.
✦टाइपिंग करते समय आपकी कलाई ना तो ऊपर होनी चाहिए ना ही नीचे और ना ही दाएं-बाएं साइड में.
✦जोड़ कलाई और फोरआर्म का ऊपरी हिस्सा सीधी लाइन में होना चाहिए.
✦कंधे से देखने पर कोहनी 90 डिग्री का कोण बनानी चाहिए और टाइपिंग करते समय कंधे आराम की स्थिति में होने चाहिए. .
✦टाइपिंग करते समय कलाइयों का सहारा न लें और उनके सहारे आराम न करें. रूकने के समय ऐसा कर सकते हैं.
✦कंप्यूटर के चौंधाने वाले प्रकाश से बचने के लिए मॉनीटर को सही एडजस्ट करें.
✦शरीर को आराम देने के लिए काम करते समय पर्याप्त ब्रेक जरूर लें.
✦टाइपिंग करते समय और माउस पकड़ने में हल्के हाथ का इस्तेमाल करें.
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